मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने की राज्य अनुसूचित जाति आयोग की एक दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 25.19 प्रतिशत है और प्रदेश का सन्तुलित एवं समग्र विकास तभी सम्भव हो सकता है जब सभी समुदायों तथा क्षेत्रों का सम्पूर्ण और सन्तुलित विकास हो।
cm presided the concluding session of one day seminar
हिमाचल प्रदेश- मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग द्वारा आजादी के 75 वर्षों में अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान में अनुसूचित जाति आयोग की भूमिका विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सभी से बेहतर समाज के निर्माण में मिलजुल कर आगे बढ़ने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 25.19 प्रतिशत है और प्रदेश का सन्तुलित एवं समग्र विकास तभी सम्भव हो सकता है जब सभी समुदायों तथा क्षेत्रों का सम्पूर्ण और सन्तुलित विकास हो। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए संचालित की जा रही योजनाएं जमीनी स्तर पर पहुंचाने के साथ ही इन वर्गों के प्रति समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए व्यवहारिक स्तर पर और अधिक प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों के प्रति संवेदनशील है और इनके उत्थान के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी की रोेजी-रोटी और घर जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी हों और सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के बेहतर और समान अवसर मिल सकें, प्रदेश सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अनुसूचित जातियों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को तीव्रगति प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए अनुसूचित जाति उप योजना के अन्तर्गत 2400.12 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में अनुवर्ती कार्यक्रम के अर्न्तगत 8244 लाभार्थियों के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा 148 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। वर्ष 2018 के उपरान्त अब तक 20399 लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक एवं विशेष रूप से सक्षम का सशक्तिकरण के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 में आवंटित 537.06 करोड़ रुपये की बजट राशि की तुलना में गत चार वर्षों में 113 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इस वित्त वर्ष में 1145.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में स्वर्ण जयंती आश्रय योजना के अर्न्तगत सरकार द्वारा मकान निर्माण के लिए 75.00 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है जिससे 5000 मकानों के निर्माण का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम योजना का विस्तार करते हुए इस योजना के द्वितीय चरण में प्रदेश में अनुसूचित जाति बहुल 348 गांवों को इसमें चयनित किया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा इस चरण में अब तक 59.83 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। द्वितीय चरण के तहत अभी तक 167 गांवों को आदर्श ग्राम घोषित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम योजना की तर्ज पर ‘मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना’ लागू की है जिसके अंतर्गत अब तक 96.26 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे लगभग 700 गावों को लाभान्वित किया गया है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के शैक्षणिक उत्थान के लिए केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत शिक्षा विभाग के माध्यम से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पूर्व मैट्रिक छात्रवृति तथा कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अन्तरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने के दृष्टिगत वित्त वर्ष 2022-23 में इस योजना के अर्न्तगत 310 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने सन्तोष व्यक्त करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में समस्त समुदायों एवं जातियों के लोग आपसी सदभाव के साथ-साथ प्रदेश के चहुमुखी विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। अनुसूचित जाति के लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए विभिन्न अधिनियमों के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से समाज के दृष्टिकोण में अभूतपूर्व बदलाव भी आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार प्रदेशवासियों का जीवन स्वस्थ, सुन्दर और सुखी बनाने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने विश्वास जताया कि अनुसूचित जाति समुदाय की समस्याओं के निवारण व विकास के लिए इस संगोष्ठी से निकले निष्कर्ष व सुझाव सहायक सिद्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर डॉ. करम चन्द द्वारा लिखित पुस्तक सफरनामा का विमोचन भी किया।
इससे पहले हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद वीरेन्द्र कश्यप ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और संगोष्ठी के चार सत्रों में विभिन्न विषयों पर की गई चर्चा का विस्तृत ब्यौरा दिया। आयोग के सदस्य जगजीत बग्गा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के समापन सत्र के अवसर पर राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य अजय चौहान, हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ. नैन सिंह, हिमकोफेड के अध्यक्ष कौल नेगी तथा हिमाचल प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक की अध्यक्ष शशिबाला और अनुसूचित जाति संगठनों एवं विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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