गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने लिया भाग;मोबाइल ऐप 'भोरोक्सा' का किया शुभारंभ

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गुवाहाटी में गौहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह की शोभा बढ़ाई

गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने लिया भाग;मोबाइल ऐप 'भोरोक्सा' का किया शुभारंभ
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने लिया भाग

नई दिल्ली : राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने गुवाहाटी में गौहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर उन्होंने महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए बनाए गए मोबाइल ऐप 'भोरोक्सा' का शुभारंभ भी किया।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि गौहाटी उच्च न्यायालय भारत की न्यायिक व्यवस्था में एक अद्वितीय स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में स्थापना के बाद इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में करीब छह दशकों से भी अधिक समय तक सात राज्य थे और अभी भी चार राज्य इस न्यायालय के अधिकार छेत्र में आते  है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस उच्च न्यायालय ने कई कानूनी दिग्गजों को जन्म देकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि गौहाटी उच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक निर्णय देकर भी अपनी तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। राष्ट्रपति मुर्मु ने विश्वास व्यक्त किया कि गौहाटी उच्च न्यायालय आने वाले वर्षों में भी इसी तरह लोगों की सेवा करता रहेगा।

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राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र संभवत: इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि ऐतिहासिक रूप से किस प्रकार विभिन्न समुदाय एक साथ रहते आए हैं। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में समृद्ध जातीय और भाषाई विविधता है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे क्षेत्र में, संस्थानों को बहुत अधिक संवेदनशीलता और दायित्व की आवश्यकता होती है, क्योंकि विविधपरंपराएं और कानून क्षेत्र के लोगों के जीवन को नियंत्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में लागू होने वाले कानून अलग-अलग हो सकते हैं परंतु पूरे क्षेत्र का संचालन एक सामान्य उच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि गौहाटी उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कुछ राज्यों में चल रहे परंपरागत कानूनों को बरकरार रखने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस संस्था ने इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लोकाचार को प्रोत्साहित करने में सहायता की है।

राष्ट्रपति ने पर्यावरण को हो रही क्षति के बारे में बोलते हुए कहा कि हमें पारिस्थितिक के अनुसार होने वाले न्याय के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अन्य प्रजातियों के साथ-साथ संपूर्ण व्यवस्था के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है, क्योंकि मानव जाति ने समग्र रूप से इसे अभूतपूर्व क्षति पहुंचाई है( अर्थात प्रकृति माँ के परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय किया है)। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिक के अनुसार न्याय की दिशा में काम करने के कई रूप हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कानूनी बिरादरी भी इसमें सार्थक योगदान प्रदान करेगी।

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राष्ट्रपति ने कहा कि परिभाषा के अनुसार न्याय समावेशी होना चाहिए और सभी के लिए सुलभ भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें मुफ्त कानूनी परामर्श की पहुंच का विस्तार करते रहने की आवश्यकता है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि न्याय की भाषा भी एक और बाधा है, लेकिन उस दिशा में प्रशंसनीय प्रगति हुई है और उच्च न्यायपालिका ने अधिक से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णय उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि न्याय के प्रशासन में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका से कई समस्याओं का समाधान हो रहा है जो लंबे समय से व्यवस्था को प्रभावित कर रही थी। उन्होंने वकीलों और कानून के विद्यार्थियों से कानूनी क्षेत्र में तकनीकी समाधान खोजने का आग्रह किया जो गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता कर सकें।

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