25000 करोड़ रुपये लगाकर जम्मू और कश्मीर में किया जा रहा है 19 सुरंगों का निर्माण; श्री नितिन गडकरी ने किया 2 सुरंगो का निरीक्षण

एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल व श्रीनगर-लेह राजमार्ग (एनएच-1) पर स्थित भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जेड-मोड़ सुरंग का निरीक्षण श्री नितिन गडकरी ने किया।

25000 करोड़ रुपये लगाकर जम्मू और कश्मीर में किया जा रहा है 19 सुरंगों का निर्माण; श्री नितिन गडकरी ने किया 2 सुरंगो का निरीक्षण
श्री नितिन गडकरी ने किया 2 सुरंगो का निरीक्षण

नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों की उपस्थिति में लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल व श्रीनगर-लेह राजमार्ग (एनएच-1) पर स्थित भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जेड-मोड़ सुरंग का निरीक्षण किया।

जम्मू और कश्मीर में 25000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 19 सुरंगों का निर्माण-कार्य किया जा रहा है। इसके तहत 2680 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ सुरंग व पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है और साथ ही इसी कार्यक्रम के तहत जोजिला में 6800 करोड़ रुपये की लागत से 13.14 किलोमीटर लंबी सुरंग और इसके साथ एक उप-सड़क का निर्माण भी कार्य प्रगति पर है।
 

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एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल

यह 7.57 मीटर ऊंची घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब व द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो कश्मीर में गांदरबल तथा लद्दाख के कारगिल जिले में द्रास शहर के बीच हिमालयन क्षेत्र स्थित जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरेगी। इस विशेष परियोजना में एक स्मार्ट टनल (पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डाटा अधिग्रहण प्रणाली) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है और इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का उपयोग करके किया जा रहा है। यह सुरंग सीसीटीवी, रेडियो कंट्रोल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और वायु-संचार जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस है। भारत सरकार द्वारा इस परियोजना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने की वजह से इसमें लगभग 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है।

जोजिला सुरंग परियोजना के तहत बनने वाली मुख्य जोजिला टनल 13,153 मीटर लंबी है और इसमें 810 मीटर की कुल लंबाई के 4 पुलिया निर्धारित हैं, 4,821 मीटर की कुल लंबाई की 4 नीलग्रार सुरंगें, 8 कट जो 2,350 मीटर की कुल लंबाई को और तीन कट 500 मीटर को कवर करते हैं, इसके अलावा 391 मीटर तथा 220 मीटर के ऊर्ध्वाधर वेंटिलेशन शाफ्ट लगाया जाना प्रस्तावित हैं। अभी तक जोजिला सुरंग का 28 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।

इस सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाने से लद्दाख के साथ हर मौसम में सड़क संपर्क सुविधा स्थापित हो जाएगी। वर्तमान समय में सामान्य मौसम के दौरान जोजिला दर्रे को पार करने के लिए औसत यात्रा अवधि में कभी-कभी तीन घंटे लग जाते हैं, लेकिन इस सुरंग के पूर्ण रूप से बन जाने के बाद सफर का समय घटकर सिर्फ 20 मिनट रह जाएगा। यात्रा के समय में कमी आने से कोई संदेह नहीं है कि ईंधन की बचत भी होगी।

जोजिला दर्रे के पास का इलाका बेहद कठिन है और यहां पर हर वर्ष कई जानलेवा दुर्घटनाएं हो जाती हैं। जोजिला सुरंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद दुर्घटनाओं की संभावना नगण्य हो जाएगी। एक बार संचालन शुरू होने के बाद यह सुरंग कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुविधा सुनिश्चित करेगी, जो लद्दाख के विकास तथा पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यापारिक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और आपात स्थिति में भारतीय सशस्त्र बलों की गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

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जेड-मोड़ सुरंग

दो-लेन वाली यह सड़क सुरंग कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच स्थित पर्वतीय ग्लेशियर, थजीवास ग्लेशियर के नीचे बनाई जा रही है। जेड-मोड़ सुरंग परियोजना के तहत कुल 10.8 मीटर लंबाई वाली एक मुख्य सुरंग, कुल 7.5 मीटर लंबाई वाली संशोधित घोड़े के नाल के आकार वाली एस्केप टनल, कुल 8.3 मीटर लंबाई वाली डी-आकार वाली वेंटिलेशन टनल, कुल 110 मीटर व 270 मीटर लंबाई वाली दो बड़ी पुलिया और कुल 30 मीटर लंबाई वाली एक छोटी पुलिया का निर्माण प्रस्तावित है। अब तक जेड मोड़ सुरंग का 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। दिसंबर 2023 तक इस सुरंग को राष्ट्र को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है।

जेड-मोड़ सुरंग में कुशल यातायात प्रबंधन प्रणाली को स्थापित किया गया है जिससे यातायात को नियंत्रित करने में आसानी होगी। इसके साथ ही समर्पित एस्केप टनल के जरिए यातायात को सुविधाजनक बनाया जाएगा। जेड-मोड़ सुरंग पर्यटक शहर सोनमर्ग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इस परियोजना के निर्माण कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाले मलबे का उपयोग रास्ते के किनारे उपयोगी सुविधाओं के निर्माण और इलाके के विकास के लिए किया गया है।

जेड-मोड़ सुरंग का इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके निर्माण से श्रीनगर और कारगिल के बीच निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा और श्रीनगर एवं लेह के बीच की यात्रा में लगने वाले समय में भी काफी कमी आएगी। यह सुरंग इस पूरे इलाके में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी और थजीवास ग्लेशियर और सिंध नदी में व्हाइटवाटर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों सहित सोनमर्ग में पर्यटन को भी बढ़ावा जाएगा।

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