एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने भारतीय सेना के साथ समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर

एनटीपीसी आरईएल ने बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर प्रतिष्ठानों में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए भारतीय सेना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने भारतीय सेना के साथ समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर
एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने भारतीय सेना के साथ समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर

नई दिल्ली : एनटीपीसी आरईएल ने बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (बीओओ) मॉडल पर प्रतिष्ठानों में ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए भारतीय सेना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौता ज्ञापन पर श्री मोहित भार्गव, सीईओ (एनटीपीसी आरईएल) और लेफ्टिनेंट जनरल राजिंदर दीवान, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, क्यूएमजी ने हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन के दायरे में चरणबद्ध तरीके से बिजली की आपूर्ति के लिए हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए संभावित स्थलों की एक संयुक्त पहचान की जाएगी।

भारतीय सेना के विभिन्न स्थानों को ऑफ-ग्रिड स्थानों में डीजी सेटों के माध्यम से संचालित किया जाता है। भारतीय सेना, माननीय प्रधान मंत्री के "पंचामृत" और कार्बन न्यूट्रल लद्दाख के दृष्टिकोण के अनुरूप, बिजली उत्पादन और गर्मी के लिए जीवाश्म ईंधन और उनके रसद पर निर्भरता को कम करने का इरादा रखती है। एनटीपीसी आरईएल अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन आदि) और हाइड्रोजन ऊर्जा भंडारण प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से डिजाइन, विकसित और स्थापित करेगा।

समझौता ज्ञापन भारतीय सेना द्वारा आधुनिकीकरण के लिए एक उन्नत दृष्टिकोण का संकेत देता है और एनटीपीसी की देश की सेवा करने और इसके डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों की सहायता करने की प्रतिबद्धता  दर्शाता है। यह अपनी तरह का पहला समझौता हैI 

एनटीपीसी आरईएल एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण सहायक कंपनी है और वर्तमान में इसके पास निर्माणाधीन 3.6 जीडब्ल्यू आरई क्षमता का पोर्टफोलियो है। एनटीपीसी समूह की वर्ष 2032 तक 60 जीडब्ल्यू आरई क्षमता की महत्वाकांक्षी योजना है और वर्तमान में इसकी स्थापित आरई क्षमता 3.2 जीडब्ल्यू है।
एनटीपीसी ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में कई पहल की हैं और पहले ही गुजरात में पाइप्ड प्राकृतिक गैस परियोजना के साथ हाइड्रोजन सम्मिश्रण शुरू कर दिया है और वर्तमान में मध्य प्रदेश में हाइड्रोजन आधारित गतिशीलता परियोजना (लद्दाख और दिल्ली में) और हरित मेथनॉल परियोजना को क्रियान्वित कर रही है।

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