विमानन क्षेत्र ने हासिल की विभिन्न उपलब्धियां

विमानन क्षेत्र ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की है

विमानन क्षेत्र ने हासिल की विभिन्न उपलब्धियां
विमानन क्षेत्र ने हासिल की विभिन्न उपलब्धियां

नई दिल्ली : विमानन क्षेत्र ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की है जो निम्नलिखित हैं :-

⚈ देश के शीर्ष दो प्रमुख हवाईअड्डों, दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों ने एसीआई का उच्चतम स्तर 4+ कार्बन प्रत्यायन हासिल किया है। आज की तारीख में, एशिया-प्रशांत में केवल तीन हवाईअड्डे हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है।

⚈ हैदराबाद और बेंगलुरु ने कार्बन न्यूट्रल (स्तर 3+) होने का दर्जा भी हासिल कर लिया है।

⚈ कोलकाता, भुवनेश्वर और वाराणसी हवाई अड्डों पर एएआई ने दिसंबर 2019 में स्तर 2 हवाईअड्डा कार्बन मान्यता प्राप्त की है और 23 और हवाई अड्डों के लिए एसीआई-एसीए स्तर 2 प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में है।

⚈ एएआई ने आज की तारीख में 54 मेगावाट से अधिक की संचयी क्षमता वाले विभिन्न हवाईअड्डों पर पहले ही सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर लिए हैं। एएआई ओपन एक्सेस और ग्रीन पावर टैरिफ के माध्यम से लगभग 53 मिलियन यूनिट सौर ऊर्जा भी खरीद रहा है, इस प्रकार एएआई हवाईअड्डों की कुल बिजली खपत का लगभग 35% अक्षय ऊर्जा (आरई) हिस्सा बढ़ा रहा है।

⚈ अधिकांश हवाई अड्डों ने 2024 तक हरित ऊर्जा के 100% उपयोग और 2030 तक नेट जीरो प्राप्त करने का लक्ष्य दिया है।

⚈ मुंबई, कोचीन और 25 एएआई हवाई अड्डे 100% हरित ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। कोचीन हवाई अड्डा दुनिया का पहला हरित हवाई अड्डा है, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है।

⚈ एएआई ने 2024 तक अपने शेष परिचालन हवाई अड्डों पर 100% हरित ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य दिया है। इस संबंध में एक रोडमैप अनुबंध में है।

⚈ लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित हैं और शेष हवाई अड्डों पर एसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं

⚈ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने अपने अनुसूचित परिचालन वाले हवाई अड्डों के लिए योजना तैयार की है और ऊर्जा गहनता डेटा प्रकाशन, मौजूदा और साथ ही आगामी हवाईअड्डा परियोजनाओं के लिए ऊर्जा तीव्रता को कम करने जैसी पहल की है।

⚈ वायु यातायात नियंत्रकों को कार्बन तटस्थता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में एक प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाया गया है।

⚈ ग्रीन टैक्सी के लिए टैक्सी बॉट्स का प्रावधान चेन्नई और कोलकाता हवाईअड्डों पर अपने इंजनों को चलाए बिना विमानों को खींचने के लिए एक पायलट परियोजना के रूप में किया जा रहा है, जो एटीएफ को जलाने से बचाएगा, जिससे जीएचजी उत्सर्जन में कमी आएगी।

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